आया घुटनों के बल …

आया घुटनों के बल, सिब्बल, मैडम के दरबार,

उसको समझे श्रीफल, मिले अगर दुत्कार.

इनकी है नीयत स्पष्ट, करेंगे शिक्षा पद्धति भ्रष्ट,

ताकि नेताओं के पिल्लै, पढ़े लिखों में हों शुमार.

मैडम का दिल नरम, रिमेम्बर, है वो PETA की भी मेंबर,

उसे कीड़ो से हमदर्दी, उसको जानवरों से प्यार.

वो देखो सुशिल कुमार शिंदे, उम्मीद में अब तक जिन्दे,

बन जाएँ कहीं गवर्नर, उनका भी हो बेडा पार.

उधर है पिंजरे में बंद, नाम है शर्मा आनंद,

इनकी नीयत में है गंद, इनकी हरकतें बेकार.

एक सींग और मोटी खाल, उकडू बैठे जायसवाल,

नहीं फ़ालतू, ये हैं पालतू, भले न हों टाँगे चार.

बन्दर को भी देते मात, उछल कूद में कमल नाथ,

इनके करतब चौकस, पाए मैडम का दुलार.

ये हैं हर संकट के दरजी, सोच में बैठे प्रणब मुखर्जी,

दुसरे फाड़ें, ये करें रफू, इन पर भरोसा अपार.

धोती पहने, न पहने पेंट नी, गुप चुप बैठे ए के एंटनी,

खच्चर जैसा ढ़ो लेते, मैडम जो दे दे भार.

कहें भारत में जिसे कांग्रेस, सिर्फ ‘Con men’ नहीं है ग्रेस,

साठ साल से लूट लूट, किया भारत का बंटाधार.

जिसकी चर्चा हो दुनिया भर, ये वो मैडम का चिड़ियाघर,

भोली भारत की जनता, कह देती इसको सरकार.

Published in: on मार्च 6, 2010 at 1:47 अपराह्न  टिप्पणी करे